प्लेटलेट्स कम होने का खतरा: भारत में बढ़ते केस
हाल के महीनों में आए आंकड़े के अनुसार भारत के कई हिस्सों में डेंगू और वायरल बुखार के मामलों के साथ प्लेटलेट्स की कमी (Platelet Count Low) के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डॉक्टरों के अनुसार, मौसम में बदलाव और कमजोर इम्यून सिस्टम इसकी बड़ी वजह बन रहे हैं। लेकिन क्या हर बार प्लेटलेट्स का कम होना डेंगू से जुड़ा होता है? आइए जानते हैं।
प्लेटलेट्स कम होने के क्या लक्षण हैं
प्लेटलेट्स शरीर में खून को जमाने का काम करते हैं। जब इनकी संख्या घटती है, तो शरीर कई संकेत देता है। “प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण” में शामिल हैं:
- जल्दी-जल्दी खून बहना (नाक या मसूड़ों से)
- शरीर पर नीले या बैंगनी धब्बे पड़ना
- कमजोरी और थकान
- बार-बार सिरदर्द या चक्कर
इन संकेतों को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि ये प्लेटलेट्स कम होने के साफ संकेत हो सकते हैं।
प्लेटलेट्स कम होने पर क्या नहीं खाना चाहिए
कई लोग यह नहीं जानते कि गलत खानपान भी प्लेटलेट्स को घटा सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक “प्लेटलेट्स कम होने पर क्या नहीं खाना चाहिए” में शामिल हैं:
- बहुत ज्यादा मसालेदार और तले हुए भोजन
- शराब और कैफीन वाले पेय
- सोडा और पैकेज्ड जूस
- आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले प्रोडक्ट
- बहुत ठंडे या फ्रिज से निकले खाद्य पदार्थ
इन चीजों से परहेज़ करने के साथ-साथ विटामिन C और फोलेट युक्त आहार लेना जरूरी है जैसे पपीता, चुकंदर, अनार और नींबू।
प्लेटलेट्स कम होने का मुख्य कारण क्या है?
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के एक वरिष्ठ हेमेटोलॉजिस्ट के अनुसार, “प्लेटलेट्स कम होने का मुख्य कारण” सिर्फ डेंगू या वायरल नहीं होता। अन्य कारणों में शामिल हैं:
- इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी
- दवाओं का साइड इफेक्ट
- बोन मैरो में समस्या
- लगातार संक्रमण या क्रोनिक डिज़ीज़
- पोषण की कमी (Vitamin B12, Iron)
यानी केवल बीमारी ही नहीं, बल्कि खानपान और जीवनशैली भी बड़ी भूमिका निभाती है।
डॉक्टरों की सलाह: सही आहार और नियमित जांच जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि प्लेटलेट्स घटने की स्थिति में स्वयं इलाज या बिना जांच के दवा लेना खतरनाक हो सकता है तो इससे बचे और ऊपर दिए हुए लक्षण आने पर डॉक्टर से सलाह ले। हर तीन महीने में ब्लड टेस्ट कराना और हेल्दी डाइट बनाए रखना जरूरी है। साथ ही, पपीते के पत्तो का जूस और गिलोय का सेवन भी प्राकृतिक रूप से मदद करता है, लेकिन इन्हें दवा का विकल्प न मानें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करे।
निष्कर्ष
भारत में बदलती जलवायु और लाइफस्टाइल के कारण प्लेटलेट्स से जुड़ी दिक्कतें बढ़ रही हैं। लक्षणों को समझना, सही खानपान और नियमित जांच कराना ही इसका सबसे अच्छा समाधान है। याद रखें — जागरूकता ही सबसे बड़ी दवा है।