मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?
भारत की आर्थिक नीति पर नज़र डालें तो यह न तो पूरी तरह पूंजीवादी है और न ही समाजवादी — बल्कि दोनों का संतुलित मिश्रण है। यही कहलाती है मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)। इसका मूल उद्देश्य है सरकारी नियंत्रण और निजी उद्यम, दोनों के सहयोग से अर्थववस्था को चलाना और विकास को गति देना।
मिश्रित अर्थव्यवस्था वह आर्थिक व्यवस्था है जिसमें सरकार और निजी क्षेत्र दोनों की समान भागीदारी होती है। सरकार बुनियादी क्षेत्र जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और ऊर्जा पर नियंत्रण रखती है, जबकि निजी क्षेत्र उत्पादन, व्यापार और सेवाओं में निवेश करता है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं? (Mishrit Arthvyavastha Kise Kehte Hain)
मिश्रित अर्थव्यवस्था ऐसी व्यवस्था जहाँ सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसका उद्देश्य है समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा करते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
उदाहरण के तौर पर — भारत, फ्रांस, जापान और इंग्लैंड जैसे देशों में मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल देखने को मिलता है। भारत में 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ी, लेकिन सरकार अब भी आवश्यक सेवाओं और नीतिगत क्षेत्रों पर नियंत्रण रखती है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं कुछ प्रमुख बिंदुओं में समझी जा सकती हैं:
- दोहरी भागीदारी: सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की समान भूमिका।
- सरकारी नियंत्रण: आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर नियंत्रण।
- न्यायपूर्ण वितरण: अमीर और गरीब के बीच की खाई को कम करने पर ध्यान।
- विकास का संतुलन: पूंजी और श्रम के बीच तालमेल बनाना।
- सामाजिक उद्देश्य: आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक कल्याण पर भी ध्यान।
यह मॉडल न केवल विकास को संतुलित रखता है, बल्कि आर्थिक असमानताओं को भी घटाने में मदद करता है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था के उदाहरण
भारत का उदाहरण सबसे प्रभावशाली है।
- सरकारी क्षेत्र: रेलवे, रक्षा, बिजली, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में नियंत्रण।
- निजी क्षेत्र: आईटी, बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, और उपभोक्ता वस्तुएं।
इस संयोजन ने भारत को दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। वहीं फ्रांस में भी ऊर्जा और परिवहन जैसे क्षेत्र सरकार के अधीन हैं, जबकि बाकी क्षेत्रों में निजी कंपनियाँ सक्रिय हैं।
Experts की राय: भविष्य की अर्थव्यवस्था भी “मिश्रित” ही होगी
आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार आने वाले वर्षों में AI, डिजिटल फाइनेंस और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में सरकार और निजी कंपनियों का संयुक्त निवेश देखने को मिलेगा। भारत में “Make in India” और “Digital India” जैसी योजनाएँ इसी मिश्रित अर्थव्यवस्था मॉडल को और मजबूत कर रही हैं।