किसानों की सुरक्षा की रीढ़ बन रही है Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana
2014 में बनी नरेंद्र मोदी सरकार बड़ी प्राथमिकता रही है किसानों की आय और फसल का संरक्षण। इसी कड़ी में शुरू हुई Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY) जो की हमेशा से ही चर्चा का विषय बनी हुई है। सरकार का दावा है कि यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, अनियमित मानसून और कीट हमलों से हुए नुकसान की भरपाई करती है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसके क्रियान्वयन को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आती रही हैं।
PM Fasal Bima Yojana: बढ़ती भागीदारी, घटती शिकायतें
कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो सालों में PM Fasal Bima Yojana में शामिल किसानों की संख्या 15% बढ़ी है। योजना के तहत बीमा प्रीमियम का बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन करती हैं। किसानों को केवल 1.5% से 2% तक का प्रीमियम देना होता है। यही वजह है कि छोटे और सीमांत किसान भी इसमें शामिल हो रहे हैं।
फसल बीमा: किसानों के लिए सुरक्षा कवच या कागज़ी योजना?
कई राज्यों से रिपोर्ट आई है कि बीमा क्लेम मिलने में देरी अब भी एक बड़ी समस्या है। कई किसानों का कहना है कि नुकसान की जाँच प्रक्रिया लंबी और जटिल है। विशेषज्ञ मानते हैं कि फसल बीमा की प्रक्रिया को और डिजिटल किया जाए, तो किसानों को जल्दी राहत मिल सकती है। ड्रोन सर्वे और सैटेलाइट डेटा जैसी आधुनिक तकनीकों को भी शामिल किया जा रहा है।
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना: नए सुधारों की तैयारी
सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि 2025 से योजना में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत एक नया मोबाइल ऐप लॉन्च किया जाएगा। इस ऐप से किसान सीधे क्लेम दर्ज कर पाएंगे और स्थिति की रियल-टाइम जानकारी मिल सकेगी। यह बदलाव खासकर उन किसानों के लिए राहतकारी होगा जिन्हें अब तक बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर किसानों की राय
गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने उनकी ज़िंदगी बदल दी है। वहीं, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई किसानों का मानना है कि बीमा क्लेम मिलने में देरी होने से वे कर्ज़ के बोझ से पूरी तरह नहीं बच पाते। स्पष्ट है कि योजना की नीयत मजबूत है, लेकिन क्रियान्वयन की गति और पारदर्शिता पर और ध्यान देने की ज़रूरत है।
📌 निष्कर्ष
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana किसानों को आपदा से बचाने का एक बड़ा कदम है। लेकिन किसानों की असली सुरक्षा तभी संभव होगी जब हर दावा समय पर निपटाया जाए और तकनीक को पूरी तरह से लागू किया जाए। आने वाले समय में यह योजना किसानों की आर्थिक मजबूती की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है।