भारतीय ज्योतिष में shani ki sade sati को लेकर अक्सर डर और चिंता का माहौल देखा जाता है। पर शुरुआत से ही कुछ विशेषज्ञों यह कहते आए है कि यह अवधि हर किसी के लिए केवल कठिनाई नहीं, बल्कि कई लोगो की जीवन में आत्म-विकास और नई शुरुआत का अवसर भी लाती है। तो पूर्ण रूप से इसे बुरा समय समझना भी एक भ्रम है।
शनि की साढ़ेसाती किस राशि पर है?
शनि की साढ़े साती किस राशि पर है, यह सवाल हेमशा से सबसे ज़्यादा पूछा जाता रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वर्तमान में शनि मीन राशि में गोचर कर रहे हैं, इसलिए धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर विशेष असर दिखाई देगा और उनकी कुंडली में शनि की स्थिति के अनुरूप परिणाम दिखाई देंगे।
शनि की ढैया क्या होती है?
shani ki dhaiya kya hoti hai – यह सवाल आमतौर पर उन लोगों के मन में आता है जो ज्योतिष में नई-नई रुचि लेते हैं। दरअसल, यह ढाई साल की अवधि होती है जब शनि जन्म राशि से चौथे या आठवें भाव में होते हैं। इस समय शनि मिश्रित फल देते है।
शनि की साढ़ेसाती के लक्षण और लाभ (Shani ki Sade Sati)
कई लोग शनि की साढ़े साती के लक्षण को केवल नकारात्मक समझते हैं, जैसे काम में रुकावट या मानसिक दबाव। लेकिन कुछ शोध और अनुभव बताते हैं कि इस दौरान आत्म-अनुशासन, धैर्य और मेहनत की आदतें विकसित होती हैं। यही कारण है कि विशेषज्ञ शनि की साढ़े साती के लाभ को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानते हैं।
शनि की ढैया के फायदे: नया दृष्टिकोण
पारंपरिक मान्यता के अनुसार shani ki dhaiya चुनौतीपूर्ण होती है। पर कई आधुनिक ज्योतिषियों का कहना है कि इस समय व्यक्ति अपनी कमजोरियों से रूबरू होता है और उन्हें सुधारने का मौका पाता है और कई लोग तो ये भी कहते है की उनकी साढ़ेसाती उनकी ज़िन्दगी के सबसे बड़े मोके देकर गयी है। । ऐसे में शनि की ढैया के फायदे को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।